राम जी धणी जाके काहे की कमी भजन लिरिक्स || ram ji dhani jake kahe ki kami bhajan lyrics || mcbmusic

राम जी धणी जाके काहे की कमी भजन लिरिक्स || ram ji dhani jake kahe ki kami bhajan lyrics || mcbmusic

(दोहा)

में तो जब जाण ग्यो तो राम गरीबन आज

मण-माणक महंगा किया सस्ता जल औनाज

(भजन)

राम जी धणी जाके काहे की कमी
राजा राम धणी जाके काहे की कमी..
मनसा-नाथ मनोरथ-पूरण,
सुख-निधान जाकी मौज घणी।
राम जी धणी जाके काहे की कमी।।टेर।।

अर्थ, धर्म, ओउर काम, मोक्ष, फल
चार पदारथ देत धणी।
इंद्र समान सेवक जाके
मुझ बपुरे की कहा क्या है गणि।
राम जी धणी जाके काहे की कमी।।टेर।।

कहो कृपण की माया कितनी
करत फिरत अपनी-अपनी।
खावे नही वो खरच नही जाणे,
ज्‍यौं भुजंग-सिर रहत मणि।


आनँद-मगन राम-गुन सुमिरो,
दुख-सँताप की मेट गणि।
सूरदास कह भजे जो राम कों
ऊनकी हरि सौं सदा बणी
राम जी धणी जाके काहे की कमी।।टेर।।


(गायक - बृजमोहन जी डांगी)



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