।।तर्ज: ए मेरे दिल नादान।।
गुरुदेव दया करके, मुझको अपना लेना।
मैं शरण पड़ा तेरी, चरणों में जगह देना ।।टेर ।।
सोये हुए भाग्यों को, हे नाथ जगाओ तुम ।
मेरी नाव भंवर डोले, उसे पार लगा देना ।
।। गुरुदेव दया करके......।।
तुम सुख के सागर हो, निर्धन के सहारे हो ।
इस तन में समाये हो, मुझे प्राणों से प्यारे हो ।
नित माला जपूं तेरी, नहीं दिल से भुला देना ।
।। गुरुदेव दया करके.....।।
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पापी हूँ या कपटी हूँ, जैसा भी हूँ तेरा हूँ ।
घर बार छोड़कर मैं, जीवन से खेला हूँ।
दुःख का मारा हूँ मैं, मेरा दुःखड़ा मिटा देना ।
।। गुरुदेव दया करके..... ।।
मैं सबका सेवक हूँ, तेरे चरणों का चेरा हूँ।
नहीं नाथ भुलाना मुझे, इस जग में अकेला हूँ।
तेरे दर का भिखारी हूँ, मेरे दोष मिटा देना ।
।। गुरुदेव दया करके...।।
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