कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
[तर्ज-तुम्ही मेरे मन्दिर हो, तुम्ही मेरी मजा]
कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
यहाँ लाज मेरी, लुटी जा रही है...
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कहाँ-जा-छुपे-हो-प्यारे-कन्हैया-कन्हैया |
गुरु द्रोण बोलो, पितामह भी बोलो
तुम्हारी बहु तुमसे, क्या पूछती है।
जुवा में लग कर हारी, हारी है बाजी,
महलों की रानी,लुटी जा रही है...
कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
यहाँ लाज मेरी, लुटी जा रही है...
कभी भी न देखी,सूरत मेरी,
नंगे बदन करना, मुझे चाहते है ।
भरी रे सभा बीच, दु:शासन के हाथो,
आज साड़ी मेरी, खिंची जा रही है।
कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
यहाँ लाज मेरी, लुटी जा रही है...
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Mcb-music-rajasthani-bhajan |
सोरथ थी जिनकी, सारे जहाँ में,
झुकाता था मस्तक, सारा जमाना।
मौन हुये बैठे हैं, पाँचो ही पाण्डव,
वीरों की गर्दन, झुकी जा रही है।
कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
यहाँ लाज मेरी, लुटी जा रही है...
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Kaha-ja-chupe-ho-pyare-kanhaiya-kanhaiya-bhajan |
आवाज सुनकर, आये मुरारी,
हस्तार में देखे, सुरत तुम्हारी।
नारी बीच सारी सारी, सारी बीच नारी,
दु:शासन की बाहे, फटी जा रही है।
कहाँ जा छुपे हो प्यारे, कन्हैया कन्हैया।
यहाँ लाज मेरी, लुटी जा रही है...
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