॥ भजन ॥
मेरी छोटी सी है नाव , तेरे जादू भरे पाँव ,
मोहे डर लागे राम कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ।। टेर ।।
जब पत्थर से बन गई नारी , यह तो काठ की नाव हमारी ,
करूं यही रुजगार , पावू सारा परिवार ,
सुनो - सुनो जी सरकार ।
।। कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ... १ ।।
एक मानो तो बात बताऊँ , तेरे चरणों की धूल हटाऊँ ,
मेरा संशय हो जाये दूर , अगर तुम्हें हो मंजूर ।
सुनो सुनो जी हजूर , पाछै बैठाऊँ तोहे नाव में ।
।।कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ...२।।
बड़े प्रेम से चरणों को धोया , पाप जन्म - जन्म का खोया ,
हुआ बड़ा प्रसन्न , किया राम दर्शन , संग सिया और लखन। ।
।।कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ... ३ ।।
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धीरे - धीरे नाव चलाता , वो तो गीत खुशी के गाता ,
सोचे यही मन में , सूरज डूबे छिण में , नहीं जाये वन में ।
।।कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ...४ ।।
ले लो ले लो मल्लाह उतराई , मेरे पास कछु नहीं भाई ,
ये तो कर लेना स्वीकार , तेरा बेड़ा हो जाये पार ।
तेरी होगी जै - जैकार , बैठ आये रे तेरी नाव में ।
।। कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ...५।।
जैसे तुम हो खिवैया वैसे हम हैं , भाई - भाई से लेना शरम है ,
मैंने नदी कराई पार , करना भवसागर से पार ।
सब भक्तां की पुकार , बैठे रहो जी मेरी नाव में ।
।।कैसे बैठाऊँ तोहे नाव में ...६।।
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