जाकी गति है हनुमान की ताकी पैज पूजि आई भजन लिरिक्स || jaki gati he hanumaan ki taki pej puji aai bhajan lyrics

 हनुमान आश्रय

जाकी गति है हनुमान की

ताकी पैज पूजि आई,

यह रेखा कुलिस पषान की

अघटि-घटन, सुघटन-विघटन,

ऐसी विरुदावलि नहिं आन की

सुमिरत संकट सोच-विमोचन,

मूरति मोद-निधान की

तापर सानुकूल गिरिजा,

शिव, राम, लखन अरु जानकी

'तुलसी' कपि की कृपा-विलोकनि,

खानि सकल कल्यान की।



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