दोहा- राम की जात रघुवंश है कृष्ण जात अहीर
ब्रम्हा जात प्रजापति मेरे शंकर जात फकीर
-भजन-
हो जी कुटी मे लक्ष्मण जी होते ऐ प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
मे पत्नी हु श्री राम की ओर वो त्रिलोकी नाथ..2
किस कारण तू दुष्ट ने पकड़ा मेरा हाथ -।।बोल।।
ये बोला था भिक्षुक की वाणी...2
माया रघुवर की ना जानी..
माया रघुवर की ना जानी....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हाय लखन को भेज कर ओर पड़ी दुस्ट के फंद
लखन गया रावण आया बहुत हुआ विलम्ब -।।बोल।।
हो जटायु सुण था वाणी माया रघुवर की ना जानी
जटायु सुण था वाणी माया रघुवर की ना जानी..
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे .....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
तो रावण पहुचा लंक मे सीता को बाग उतार
सीता सोच करे मन मे आप जाणो रघुनाथ -।।बोल।।
ओ सुन रे पेड़ पक्षी ज्ञानी माया रघुवर की ना जानी
सुनो रे पेड़ पक्षी ज्ञानी माया रघुवर की ना जानी...
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे...
माया रघुवर की ना जानी माया रघुवर की ना जानी
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी
तुलसी दास की विनती थे सुणजो सिरजनहार
सीता अन्न जल नही लेवे कीजो नाथ उपाय -।।बोल।।
नाथ मेरे यही अर्जजानी माया रघुवर की ना जानी
कुटी मे लक्ष्मण जी होते यहो प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हो जी माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हो जी माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
मे पत्नी हु श्री राम की ओर वो त्रिलोकी नाथ..2
किस कारण तू दुष्ट ने पकड़ा मेरा हाथ -।।बोल।।
ये बोला था भिक्षुक की वाणी...2
माया रघुवर की ना जानी..
माया रघुवर की ना जानी....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हाय लखन को भेज कर ओर पड़ी दुस्ट के फंद
लखन गया रावण आया बहुत हुआ विलम्ब -।।बोल।।
हो जटायु सुण था वाणी माया रघुवर की ना जानी
जटायु सुण था वाणी माया रघुवर की ना जानी..
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे .....
कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
तो रावण पहुचा लंक मे सीता को बाग उतार
सीता सोच करे मन मे आप जाणो रघुनाथ -।।बोल।।
ओ सुन रे पेड़ पक्षी ज्ञानी माया रघुवर की ना जानी
सुनो रे पेड़ पक्षी ज्ञानी माया रघुवर की ना जानी...
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..हो जी रे...
माया रघुवर की ना जानी माया रघुवर की ना जानी
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी
तुलसी दास की विनती थे सुणजो सिरजनहार
सीता अन्न जल नही लेवे कीजो नाथ उपाय -।।बोल।।
नाथ मेरे यही अर्जजानी माया रघुवर की ना जानी
कुटी मे लक्ष्मण जी होते यहो प्राण तेरा श्रण मे हर लेते
मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हो जी माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
हो जी माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
माया रघुवर की ना जानी...माया रघुवर की ना जानी
ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी..
स्वर-सतु जी लौहार
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