कैसी जान बनी रघुवर की लिरिक्स|kesi jaan bani raghuvar ki lyrics

कैसी जान बनी रघुवर की लिरिक्स|kesi jaan bani raghuvar ki lyrics-

उपरोक्त भजन में "जान" शब्द का आशय "बारात" से है जिसे राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र की भाषा मे "जान" शब्द से सम्बोधित किया जाता है।

-भजन-

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।
कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।टेर


रामचंद्र जी की जान बनी,सजधज बणिया ये बराती।-२
चाँद सूरज का मुकुट बिराजे,चर्चा होवे उस पल की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।
कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।


आगे रथ श्री रामचन्द्र जी को,पीछे भीड़ भरत की।-२
बीच बीच मे हाथी दशरथ को,नोपत बाजे इंदर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।
कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।


राजा जनक जी का नवल बाग में,या फोज बड़ि दशरथ की-२
नर नारी ये लोग नगरी के,छवि नरखत कवरन की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।
कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।


राम जानकी भवर लेकर,कलश धरे शुमरन के-२
तुलसीदास राजा रानी बतलावे, या सिया भेट रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।
कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

कैसी जान बनी रघुवर की
शोभा वरणी ना जाये उस दिन की।

 
(गायक-भवँर जी बारेठ)


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