।।दोहा।।
रुठ गयो भाई सगो रुठ गयो परिवार।
थे मत रूठो श्याम धणी निर्धन रा आधार।।
-भजन-
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
ऊँची थारी पेडिया जी चढ़ियो न उतरियो जाय
अर्ज करू घनश्याम ने मारो हाथ पकड़ ले जाय
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
वे बड़ला वे बावड़ी जी ध्वजा उड़न्ति धाम
दुखिया ने सुखिया करे मारो सिंगोली रो श्याम
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
मोर मुकुट छवि आपकी जी कुंडल की झंकार
हार गले मे सोवता जी कमरिया कशी कटार
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
देश देश भटकत फिरियो जी सब झग लीनो छान
सिंगोली रा श्याम की माने मोड़ी पड़ी पछाण
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
चारभुजा की लावणी गावे हरि को लाल
पराशर चरण ढुलावे सा सिंगोली रा श्याम
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
सिंगोली श्याम की मारा चारभुजा जी की
पेडिया चढ़ता चढ़ता जय बोलो सिंगोली श्याम की।।
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