राम दशरथ के घर जन्मे घराना हो तो ऐसा हो भजन लिरिक्स || ram dashrath ke gar janme ghrana ho to esa ho bhajan lyrics

राम दशरथ के घर जन्मे घराना हो तो ऐसा हो भजन लिरिक्स || ram dashrath ke gar janme ghatana ho to esa ho bhajan lyrics-

(भजन)
(तर्ज - सजा दो घर को गुलशन सा )
राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो
घराना हो तो, ऐसा हो
लोग दर्शन को चल आए
सुहाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

यज्ञ के काम करने को
मुनीश्वर ले गया वन में
उड़ाये शेष दैत्यन के
निशाना हो तो, ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

धनुष को जाय कर तोड़ा
जनक की राजधानी में
भूप सब मन में शर्माएं
लजाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

पिता की मान कर आज्ञा
राम बन को चले जबही
ना छोड़ा संग सीता ने
जनाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

सिया को ले गया रावण
बनाकर भेष जोगी का
कराया नाश सब अपना
दीवाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

प्रीत सुग्रीव से करके
गिराया बाण से बाली
दिलाई नार फिर उसकी
याराना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

गया हनुमान सीता की
ख़बर लेने को लंका में
जलाकर के नगर आया
सयाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

बाँध सेतु समुन्दर में
उतारा पार सेना को
मिटाया वंश रावण का
हराना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

राज देकर विभीषण को
अयोध्या लौटकर आये
वो ब्रम्हानंद बल अपना
दिखाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो
घराना हो तो, ऐसा हो
लोग दर्शन को चल आए
सुहाना हो तो ऐसा हो

राम दशरथ के घर जन्मे
घराना हो तो, ऐसा हो।


(गायक - पण्डित ज्ञानेंद्र शर्मा)


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